करियर बनाने की उम्र में खड़ा किया, 70 हजार करोड़ का एम्पायर 17 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ की थी शुरुआत |

जी हाँ वो एक कहावत है न की हुनर कभी किसी पहचान का मोहताज नहीं होता, यदि आप में कोई हुनर यानी प्रतिभा है तो आप उसके जरिये काफी आगे निकल सकते हैं और अपने काम से दुसरे लोगों को भी इंस्पायर्ड कर सकते हैं | इस बात को सिद्ध किया है 23 वर्ष के बालक ने। जिसने गरीबी को बहुत करीब से देखते हुए और संघर्ष को अपनी मंजिल मानते हुए एक नया मुकाम हासिल किया है | कभी किराए के कमरे के पैसे भी न चुका पाने वाला भी बन सकता है एक बड़ी कम्पनी का फाउंडर | आइये जानते हैं इस इंट्रेस्टिंग और इंस्पायरिंग स्टोरी के बारे में |

जिस उम्र में बच्चे अपने भविष्य यानी करियर के बारे में सोचते हैं और उसी उम्र में एक 17 वर्षीय बालक ने ऐसा आईडिया निकाला जिसके बारे में शायद इस उम्र में न कोई सोचता है और न ही करता है यहां हम बात कर रहे हैं उड़ीसा के रितेश अग्रवाल की जिन्होंने बिना कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बावजूद महज 18 साल की उम्र में ही ब्रांडेड कंपनी के सीईओ बने। इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी सफलता पाने के बाद वह सफल बिजनेसमैन के लिस्ट में शामिल है।

रितेश बचपन से ही पढ़ाई में सही थे खासकर कोडिंग में अत्याधिक रुचि | और मात्र 8 वर्ष की उम्र से ही अपने कोडिंग स्किल को स्टार्ट कर दिया और 16 वर्ष की उम्र में रितेश को मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च मैं आयोजित एशियन साइंस कैंप के लिए चुना गया था। जिसमें किसी क्षेत्र विशेष की समस्याओं पर विचार करके साइंस और टेक्नोलॉजी की मदद से उसका हाल निकला जाता है |

बिजनेस का आइडिया –

दरअसल रितेश अपनी पढ़ाई में तो सही थे ही और उन्हें ट्रेवलिंग यानी यात्रा करने का बचपन से ही बहुत शौक था | और ऐसे में वह जिस भी जगह घूमने जाते वहां किराये के लिए रूम सर्च करना, सस्ते बजट में लेना, रूम की सिक्योरटी और गुडवत्ता आदि का देखना अपने आप में उन्हें एक समस्या लगने लगी | और अपनी यात्रा करते करते दिमाग में एक आइडिया आया की क्यों न लोगों को एक ऐसा स्टार्टअप दिया जाएँ, जिसमें उन्हें (लोगों) को इन सारी समस्यांओ का सामना न करना पड़े और हर चीज उन्हें एक ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हो सके | लेकिन उन्हें क्या पता था की उनका यह आइडिया उन्हें एक सफल बिजनेस मेन बना सकता है |

“ओरावल-स्टे” नामक कम्पनी की स्थापना –

अपने इस आइडिया को हकीकत में बदलने के लिए रितेश ने इस पर काम स्टार्ट किया और उसे नाम दिया “ओरावल-स्टे” | जिसका मेन मकसद ट्रैवलर्स को कम समय के लिए कम दामों पर होटल्स को उपलब्ध करवाना था | रूम सर्चिंग में ज्यादा समय वेस्ट न हो इसके लिए इसमें ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा को रखा गया हालांकि भारत में उस वक्त ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा मौजूद थी।

कंपनी वेंचरनर्सरी से प्राप्त हुआ 30 लाख का फंड-

अपने बजट, समय, सुविधा और सुरक्षा के देखते हुए “ओरावल-स्टे” को एक अच्छा खासा स्टार्टअप का प्लेटफॉर्म मिला और लोगों ने इस पहल को काफी सराहा | इस अनोखी पहल को देखते हुए स्टार्टअप शुरू करने वाली कंपनी वेंचरनर्सरी से 3000000 का फंड भी प्राप्त हुआ। इस फंड के मिलते ही मानो रितेश के पंखों ने उड़ान भर ली हो | और अपनी कंपनी को बढ़ाने के लिए और भी उत्सुक हो गए ।

इसी दौरान रितेश ने थेल फाउंडेशन द्वारा साले तो वैश्विक प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया और अव्वल स्थान प्राप्त होने पर फेलोशिप के रूप में उन्हें लगभग 66 लाख की धनराशि मिली | और उन्होंने इस पैसे को अपनी कम्पनी में लगाकर कंपनी को और भी बेहतर ढंग से शुरू किया। परंतु दुर्भाग्यवश बिजनेस मॉडल इच्छा अनुसार लाभ देने में असफल रहा जिस कारण “ओरावेल-स्टे” कंपनी धीरे-धीरे घाटे में चल गया।

ओयो (oyo) रूम्स की स्थापना

कहावत “कोशिश अगर सफलता न दे पाए तो अनुभव जरूर देती है” के संकल्प के साथ हार नहीं मानी और आगे की और बड़े और आइडिया आया ओयो रूम्स की स्थापना करने का ।इस ओयो रूम्स का उद्देश्य ना सिर्फ ट्रैवलर्स को होटल में कमरे मुहैया कराना बल्कि होटल में मिलने वाली सुविधाओं के गुणवत्ता का भी ख्याल रखना भी था। इसके लिए कंपनी ने कुछ मानको को निर्धारित किया। रितेश का यह आईडिया इतना सक्सेसफुल था कि कुछ ही दिनों में लाइट स्पीड वेंचर्स पार्टनर्स और डी स जी कंज्यूमर पार्टनर्स, सिंगापुर के तरफ से तकरीबन 4 करोड़ रुपए मिले ताकि कंपनी को और आगे तक ले जाया जाए।

और मात्र 10 महीनों के अंदर ही कंपनी का टर्नओवर $80 मिलियन का हो गया।लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर्स ने सेकोईआ कैपिटल के साथ मिलकर रितेश की कंपनी मेन 36 करोड़ और निवेश किया। उसके बाद कंपनी को एक के बाद एक फंड मिलते गए। जिसके बदौलत आज ओयो रूम की कुल वैल्यूएशन 70 हजार करोड़ के पार है।

और आज ओयो का क्रेज क्या है यह हम सभी भली भाँती जानते हैं आज के समय मेन ओयो की लगभग 15000 से भी ज्यादा होटलों की श्रृंखला है और 1000000 कमरों के साथ देश की सबसे बड़ी आराम देह एवं दामों पर लोगों को कमरे उपलब्ध कराने वाली कंपनी बन चुकी है। और अपनी इस उपलब्धि से आज रितेश अग्रवाल उस युवा उद्यमियों के कतार में शामिल है जिन्होंने इतनी कम उम्र में ही 70 हजार करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर दिया।

जानकारी के मुताबिक़ ओयो आज 80 देशों के 800 से अधिक सौरव में अपनी मौजूदगी कायम करते हुए अपना सम्राज्य स्थापित कर एक लीडिंग कंपनी बन चुकी है।

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