बंधुआ मजदूर पिता के बेटे ने झेली गरीबी और भूख, नौकरी ना मिली, तो करोड़ों की कंपनी खोल दी

Startup Story: पेट की भूख इंसान से हर असंभव काम करवा लेती है। इंसान जो भी कार्य अपने जीवन में करता है, उसका सीधा संबंध उसके पेट से होता है। जिस व्‍यक्‍ति ने भूख की वजह से शरीर में कमजोरी, पेट में जलन महसूस किया है। वह चाहे कितनी भी ऊचॉंइयों पर पहुँच जाये उसकी सिम्‍पलिसिटी कभी नहीं जाती।

आज की हमारी कहानी एक ऐसे ही व्‍यक्‍ति की है। वह शख्स जिसने अपने जीवन में भूख की वजह से पेट में जलन को महसूस किया है। जिनके पिता एक बंधुआ मजदूर थे और घर के हालात इतने खराब थे, कि घर को चलाने के लिए उस व्‍यक्‍ति कि मॉ ने तम्‍बाकू फैक्‍ट्री में तक काम किया।

आज की हमारी कहानी है मधुसूदन राव की। मधुसूदन राव (Madhusudan Rao) वह व्‍यक्‍ति जिसने मेहनत से करोड़ो की कंपनी बना ली। जिसने मेहनत से नया इतिहास रच दिया। मधुसूदन आज करोंड़ो कि कंपनी के बस मालिक नहीं है, वह ऐसे व्‍यक्‍ति है जो आज हजारों संख्‍या में बेरोजगारों को रोजगार भी मुहैया करा रहे है। आखिर कैसे मधुसूदन ने करोड़ो का एम्‍पायर खड़ा किया आइये जानते है।

मधुसूदन जी का परिवार

madhusudan with family

मधुसूदन आंध्रप्रदेश (Andra Pradesh) राज्‍य के रहने वाले है। मधुसूदन का परिवार बहुत बड़ा था। उनके घर में 10 लोग थे। उन दस लोगों में इनके माता पिता और 8 भाई बहन थे। इतना बड़ा परिवार होने की वजह से इनके घर में हमेशा ही तंगी रहा करती थी। मधुसूदन के माता पिता दिहाड़ी पर प्रतिदिन कार्य करते थे।

किसी कारण वश अगर माता पिता काम पर नहीं जा पाते थे। तो पूरे परिवार को भूखे ही सोना पड़ता था। तंगी की वजह से नये कपड़े पहनना यह मधुसूदन को कभी नसीब नहीं हुआ। गंदे और मेले कपड़े ही उनका पहनावा था। पैरों को चप्‍पल भी उन्‍हें नसीब हो यह संभव नहीं हो पाया। एक छोटी सी झोपड़ी में मधुसूदन का परिवार अपना जीवन करने को मजबूर था।

पिता जमीदार के पास थे बंधुआ मजदूर

मधुसूदन बचपन से ही अपने माता पिता के लिए बहुत फिकरमंद थे। वह हमेशा यह सोचते थे कि आखिर उनके माता पिता 18-18 घंटे रोज काम कैसे करे लेते है। आखिर ऐसा क्‍यों है कि उनके माता पिता इतनी देर तक काम करते है।

धीरे धीरे जब वह बड़े हुए तो उन्‍हें मालूम हुआ कि दरअसल उनके पिता एक जमीदार के पास मजदुरी करते है। ऐसा इसलिए था, क्‍योंकि वह उनके बंधुआ म‍जदूर थे। इसी वजह से उनके पिताजी दिहाड़ी मे काम करते थे। मधुसूदन की मॉं की तम्‍बाकू फैक्‍ट्री से जितनी आमदानी होती थी। उससे बड़ी मुश्‍किल से घर चलता था।

मधुसूदन पुरे दिन नहीं देख पाते थे अपने माता पिता का चेहरा

मधुसूदन जी के परिवार की हालात इतनी ज्‍यादा बिगड़ी हुई थी कि घर का खर्चा चलाने के लिए मधुसूदन की बहन को तक मजदूरी करनी पड़ी थी। मॉं ओर बहन को हर रोज बारह किलोमीटर पैदल मजदूरी करने जाना पड़ता था। इतनी तपस्‍या के बाद भी मधुसूदन के परिवार को कभी कभी भूखा ही सो जाना पड़ता था।

अपने जीवन के इन कठिन हालात, मुश्‍किलों, परेशानियों पग पग पर अपमान और गरीबी का बचपन इन सब को याद करते हुए मधुसूदन कहते है, कि बचपन में कई बार ऐसा होता था। कि में अपने मॉं पिताजी को पूरे दिनभर नहीं देख पाता था, क्‍योंकि जब वह मजदूरी करने जाते थे। तो मे सोकर नहीं उठ पाता था और जब शाम को वह घर आते थे। तो में उनका इंतजार करते करते सो जाता था। इस वजह से मधुसूदन कहते है कि माता पिता का प्‍यार उन्‍हे बचपन में नसीब हो पाया।

पढ़ाई करने के बाद नौकरी की तालाश में खाये धक्‍के

मधुसूदन की पढ़ाई की बात की जाये तो उनके माता पिता और पूरे परिवार ने उनकी पढ़ाई के लिए बहुत कष्‍ट झेले है। माता पिता का त्‍याग की वजह से ही वह आगे जीवन में पढ़ाई कर पाये। मधुसूदन कहते है कि उनके परिवार को उन पर भरोसा था कि वह एक दिन बड़ी डिग्री जरूर हासिल करेंगे। जिसकी वजह से उन्‍हें नौकरी मिलेगी ओर वह रूपये कमा कर अपने घर की आर्थिक हालातों को सुधार पाएंगे।

बारहवी मधुसूदन ने एक सोशल वेलफेयर हॉस्‍टल में रहकर पास की है। वही कॉलेज से डिग्री भी हासिल की। उन्‍होंने एंट्रेस एक्‍जाम देकर पॉलिटेक्‍निक का डिप्‍लोमा भी हासिल किया। डिग्री लेने के बाद कई जगह नौकरी के लिए धक्‍के खाये। लेकिन उसमें कामयाब नहीं हो पाये। सब की उम्‍मीदे मुधूसदन से थी, इसिलए मधुसूदन ने यह डिसाइड किया कि भले ही उन्‍हें कुछ भी काम करना पड़े लेकिन वह पैसे जरूर कमाएंगे।

एमएमआर कंपनी के साथ 20 कंपनी के है मालिक

यहा वहा भटकते हुए काम करते हुए मधुसूदन ने कुछ पैसे जोडे। यह पैसे मधुसूदन ने चौकीदारी और ओवरटाइम काम करके जोड़े। जिससे उन्‍होंने एक कंपनी शुरू कर दी। हालांकि शुरू में उन्‍हें कंपनी में काफी दिक्‍कतो का सामना करना पड़ा।

जिन लोगो के साथ मधुसूदन ने पार्टनरशिप में कंपनी खोली। वह पैसे लेकर भाग गये। उसके बाद उन्‍होंने एमएमआर (MMR) नाम से एक कंपनी (Company) शुरू कर दी। जिसमें उन्‍हें सफलता प्राप्‍त हुई। एमएमआर कंपनी के साथ ही आज मधुसूदन 20 अन्‍य कंपनी के भी मालिक है।

उनकी कंपनीयॉं आईटी सेक्‍टर से लेकर फूड प्रोसेसिंग तक अपनी छाप छोड़े हुए है। उनकी कंपनीयॉ इलेक्‍ट्रिकल, टेलीकॉंम, मेकैनिकल, आईटी इन सभी क्षेत्र की है। आज इनकी कंपनियॉ इतनी मशहूर है कि सिर्फ भारत में ही नहीं विदशों में भी उनकी कंपनी की पहचान है।

रोज 18 घंटे करते है काम

आज कंपनी की वजह से मधुसूदन के परिवार की आर्थिक स्थिति सुधर गई है। आज मधुसूदन करोड़ो कमाते है। जहॉं बचपन में वह झोपड़ी में रहने को मजबूर थे। वही आज उनके पास एक आलीशान पक्‍का घर है। लेकिन मशुसूदन नहीं बदले। वह अपने माता पिता के संघर्ष को याद करते हुए अपनी कंपनी में हर रोज 18 घंटे काम करते है।

उनका लक्ष्‍य भी देश के दूसरे करोडपतियों (Millionaires) से अलग है। वह अपने लिए कुछ नहीं करना चाहते। वह चाहते है कि हर गॉंव में वह लोगों को रोजगार दे। जिससे गॉंव से गरीबी का साया हमेशा के लिए हट जाये। वह चाहते है कि उनकी तरह कोई भी बच्‍चा गरीबी ना झेले।

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