लाखों की नौकरी छोड़ इंजीनियर से बने किसान, नई तकनीक से खेती कर करोड़ों की कर रहे हैं कमाई

आज के समय में देश का कोई किसान अपने बेटे को खेती-बाड़ी में नहीं उतारना चाहता है. वो चाहते हैं कि उनका बेटा- इंजीनियर, डॉक्टर या कुछ और बने पर किसान नहीं. लेकिन कुछ ऐसे भी इंजीनियर हैं, जिन्होंने लाखों की नौकरी छोड़कर खेती करना चुना.

प्राकृतिक आपदा हो‍ या फसल का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य। हर चीज से किसान परेशान है, वहीं दूसरी तरफ महंगाई के कारण भी किसान खेती से दूर हो रहा है। विशेषकर युवा पीढ़ी का अब खेती करने का मन नहीं करता है।

शहर कि चकाचौंध को देख कर आजकल लोग गांवों से शहरों की ओर पलायन करने लगे है। इसके साथ ही सबसे बड़ी वजह गांवों में रोजगार के अवसर का नहीं मिलना है। ग्रामीण युवा रोजगार के चक्‍कर में शहरों में पलायन को मजबूर होता जा रहा हैं।

वही दूसरी तरफ एक ऐसे व्‍यक्‍ति है, जिन्‍होंने शहर कि अच्‍छी नौकरी को छोड़ कर अपने दादा जी कि बात से प्रभावित होकर अपने गांव में खेती करना चुना। वह इंजीनियर कि नौकरी (Engineer job) छोड़ कर एक सफल किसान बनें। हम बात कर रहे है, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के मेधपुर गांव में रहने वाले सचिन काले (Sachin Kale) की।

जिन्‍होने गुड़गांव (Gurugram) की एक बड़ी कंपनी में अच्छी खासी नौकरी छोड़कर अपने गांव वापस लौट आये और खेती करके करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। उनका यह कदम चौंकाने वाला है, क्‍योंकि आजकल लोग शहर कि सुख सुविधा देख कर गांव छोड़ कर शहर में रहना पसंद करते है। वही सचिन काले कुछ हटके अलग कार्य कर रहे है।

आजकल खेती में बढ़ती लागत और कम होते मुनाफे की वजह से युवा पीढ़ी शहरों की ओर रूख कर रही है। ऐसे में मेधपुर, जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़ के रहने वाले सचिन काले ने लाखों की नौकरी छोडकर गांव की ओर रूख किया है। सचिन गुड़गांव की एक बड़ी कंपनी में 24 लाख रुपए सालाना के पैकेज पर नौकरी कर रहे थे।

मैकेनिकल में कि थी इंजीनियरिंग

mechanical engineering

उन्होंने 2000 में नागपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक और फाइनेंस में एमबीए किया। वह परिवार की खुशी के लिए इंजीनियर तो बन गए, लेकिन उनके दिमाग में हमेशा कुछ अलग करने की चाह बनी रहती थी। पढ़ने की आदत होने के कारण सचिन ने लॉ की पढ़ाई भी कर ली थी। इतना ही नहीं 2007 में उन्होंने डेवलपमेंटल इकोनॉमिक्स में पीएचडी करने के लिए एडमिशन भी ले लिया।

कैसे आया खेती करने का विचार

farming ideas

सचिन काले का पूरा परिवार गॉंव में रहता है और खेती करता है। उनके दादा जी भी सरकारी नौकरी से रिटायर होने के बाद खेती का कार्य करते थे। सचिन भी अपना व्‍यवसाय करना चाहते थे। लेकिन उस समय सचिन को समझ नहीं आ रहा था, कि वह किस तरह बिजनेस (Business) शुरू करें। फिर ‍सचिन को अपने दादा जी कि बात याद आई। जब वह पढ़ाई करते थे, उस समय उनके दादा जी ने कहा था।

इंसान पैसों के बिना तो जिंदा रह सकता हैं, पर भोजन के बिना नहीं रह सकता। अगर आप खुद का पेट भरने के लिए फसल उगाना जानते हैं, तो हालात कितने भी बुरे क्यों न हों आप जिंदा रह सकते हैं।

विरासत में मिली 25 एकड़ भूमि का जिक्र करते हुए वह कहते थे, कि अगर इस भूमि को फॉर्मलैंड में तब्दील कर दिया जाए, तो उनका सपना पूरा हो जाएगा। दादाजी की इन्हीं बातों से सचिन को फॉर्म लैंड खोलने की प्रेरणा मिली और उन्‍होंने नौकरी छोड़ कर गांव कि और रूख करने का फैसला लिया। अपने बिजनेस के लिए उन्‍होंने अपनी एफडी भी तुड़वा ली थी।

बिजनेस करने से पहले कि रिसर्च

research in farming business

खेती (Farming) करने से पहले सचिन ने कॉन्ट्रैक्ट खेती करने के बारे में काफी रिसर्च की और 2014 में खुद की कंपनी ‘इनोवेटिव एग्रीलाइफ सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड’ शुरू कर दी। ये कंपनी किसानों को कॉन्ट्रैक्ट खेती करने में हेल्प करती है। सचिन ने प्रोफेशनल तरीके से खेती के सलाहकारों को नौकरी पर रखा और उन्हें प्रशिक्षण देकर अपना व्यापार बढ़ाना प्रारंभ कर दिया।

वैसे तो सचिन के पास 25 बीघे खेत था। पर उन्हें यह जानकारी नहीं थी, कि इसमें कौन सी फसल लगाएं कि उन्हें अच्छा मुनाफा हो। कुछ दिन खेती पर ध्यान लगाने के बाद उन्हें समझ में आया कि यहां सबसे बड़ी समस्या मजदूरों की है। बिलासपुर (Bilaspur CG) में सारे लोग रोजगार की तलाश में बाहर देश के दूसरे हिस्सों में निकल जाते हैं। इस समस्‍या को दूर करने के लिए सचिन ने कार्य करना स्‍टार्ट किया।

किसानों कि समस्‍याओं को किया दूर

farmer problem solve

फिर सचिन को लगा कि अगर वे उन्हें उतना ही पैसा देंगे जो वह बाहर जा कर कमाते है। तो ये मजदूर बाहर नहीं जाएंगे और उनकी खेती का काम भी हो जायेगा। सचिन का सपना इससे भी बड़ा था। तो उन्होंने मजदूरों के साथ-साथ आसपास के किसानों का भी भला सोचना शुरू कर दिया। उन्होंने किसानों की जमीन किराये पर ली और किसानों को अपनी समस्‍या बताई और उनकी समस्‍या जानी और खेती करना शुरू कर दी।

आज उन्‍हें खेती से प्रति वर्ष की कमाई दो करोड़ रुपए से अधिक है। ऐसा कर उन्होंने न केवल अपने दादा वसंत राव काले के सपने को पूरा किया, बल्कि अब उनका सपना अपनी एग्री कंपनी को मुम्बई स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग कराकर इसका शेयर बाजार में लॉन्च करने की दिशा में भी कदम बढ़ा दिया है।

पत्‍नी ने दिया साथ

उनके इस कार्य में सचिन काले कि पत्‍नी जिनका नाम कल्‍याणी है, उन्‍होंने साथ दिया। धीरे-धीरे उनकी बिजनेस आइडिया से उनकी अच्‍छी कमाई होने लगी। आज उनके बिजनेस से बहुत सारे किसान जुड़ चुके है और उनके बिजनेस आइडिया से जुडकर उनके बताए बिजनेस के तरीकों से अच्‍छी खासी कमाई भी कर रहे है। सचिन ने अपने खेत में सब्‍जी और धान लगाया। जिससे सचिन काले को काफी फायदा भी हुआ।

क्‍या होती है कॉन्‍ट्रैक्‍ट फार्मिंग

contract farming

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग (अनुबंध खेती) में किसान को एक भी पैसा नहीं खर्च करना पड़ता है। खाद बीज से लेकर सिंचाई और मजदूरी सब खर्च कॉन्ट्रैक्टर के जिम्मे होता है। कॉन्ट्रैक्टर ही उसे खेती के गुर बताता है।

फसल का दाम पहले से निर्धारित होता है, उसी दाम पर किसान अपनी फसल कॉन्ट्रैक्टर को बेच देता है और यदि बाजार में फसल का दाम अधिक होता है, तो किसान को प्रॉफिट में भी हिस्सा मिलता है। किसी भी हालत में किसान का नुकसान नहीं होता है। आज सचिन की कंपनी लगभग 137 किसानों की 200 से ज्यादा एकड़ जमीन पर खेती करती है और साल में लगभग 2 करोड़ का टर्नओवर करती है।

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