2025 तक पुरे देश में लगेंगे प्रीपेड स्मार्ट मीटर, बदल जायगा बिजली बिल, ऐसे होगा रिचार्ज

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2025 तक पुरे देश में लगेंगे प्रीपेड स्मार्ट मीटर, बदल जायगा बिजली बिल, ऐसे होगा रिचार्ज

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Prepaid smart meters: पूरे देश में अभी जो बिजली मीटर हैं उनका बिल हर महीने जेनरेट होता है, जिसका भुगतान समय पर नहीं होने से बिजली वितरण कंपनियों पर दबाव बढ़ा है. सरकार के इस कदम से बिजली कंपनियों की वित्तीय हालत सुधरेगी साथ ही बिजली उपभोक्ताओं के लिए बिल पेमेंट भी आसान होगा.

यह स्मार्ट मीटर सामान्य बिजली के मीटर से बिल्कुल अलग होंगे, जिन्हें हर महीने रिचार्ज करवाने अनिवार्य होगा। इस स्मार्ट मीटर को आप मोबाइल रिचार्ज की तरह समझ सकते हैं, जिसमें बैलेंस रहने तक आप सेवाओं यानि बिजली का लाभ उठा सकते हैं। तो आइए विस्तार से जानते हैं स्मार्ट मीटर के बारे में, जो साल 2025 तक हर घर की शान बन जाएगा।

क्या है प्रीपेड स्मार्ट मीटर

भारत में बिजली चोरी की समस्या बहुत ज्यादा होती है, जिसकी वजह से बिजली मंत्रालय को हर साल काफी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में केंद्र सरकार ने बिजली मंत्रालय की सलाह पर प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का प्रस्ताव स्वीकार किया है, जो बिजली चोरी के मामलों में कमी लाने के साथ साथ नुकसान की भरपाई करने का काम करेगा।

दरअसल बिजली मंत्रालय की तरफ से यह सुझाव दिया गया था कि प्रत्येक राज्य में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगवाए जाए, जिन्हें हर महीने रिचार्ज करना अनिवार्य होगा। ऐसे में जब तक स्मार्ट मीटर में रिचार्ज होगा, बिजली विभाग द्वारा पावर की सप्लाई जारी रहेगी। वहीं जब रिचार्ज खत्म हो जाएगा, तो पावर सप्लाई को तुरंत बंद कर दिया जाएगा।

यह स्मार्ट मीटर का कंसेप्ट बिल्कुल मोबाइल या टीवी रिचार्ज पर आधारित है, जिसमें ग्राहक रिचार्ज होने पर तमाम सेवाओं का लाभ उठा सकता है और रिचार्ज खत्म होने पर कंपनी द्वारा सेवाएं रोक दी जाती है। बिजली मंत्रालय भी स्मार्ट मीटर के जरिए रिसर्च के बदले पावर सुविधा मुहैया करवाना चाहता है, ताकि बिजली चोरी के मामलों में कमी आए।

यहां पहले लगेंगे प्रीपेड स्मार्ट मीटर

भारत सरकार के नोटिफिकेशन के मुताबिक, जिस भी यूनिट में अर्बन कंज्यूमर यानी शहरी उपभोक्ता 50 परसेंट से ज्यादा होंगे, और AT&C नुकसान 15 परसेंट से ज्यादा होगा, वहां 2023 तक स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे. अन्य जगहों पर यह 2025 तक लगा दिया जाएगा. AT&C का मतलब हुआ-सकल तकनीकी और वाणिज्यिक (Aggregate technical and commercial) नुकसान. जो खराब या अपर्याप्त बुनियादी ढांचे से या बिजली की चोरी या बिलों के भुगतान नहीं होने की वजह से होती हैं. जिन क्षेत्रों में संचार नेटवर्क कमजोर है या फिर है ही नहीं, उन क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति मौजूदा मीटरों के जरिए बहाल रखने को लेकर संबंधित क्षेत्रों में राज्यविनियामक आयोग अंतिम फैसला लेंगे.

कृषि कनेक्शन योजना से बाहर

रिवेम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम के तहत कृषि कनेक्शन को बाहर रखा जाएगा, क्योंकि राज्य सरकार की तरफ से किसानों को पहले से ही सब्सिडी पर बिजली उपलब्ध करवाई जाती है। ऐसे में कृषि कार्य से जुड़े बिजली के मीटर को स्मार्ट मीटर से नहीं बदला जाएगा और उन्हें इस मेगा स्कीम से बाहर रखा गया है।