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जैसे की हम सभी जानते हैं | भगवान श्री कृष्ण का जनमोत्स्व यानि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी इस साल आने वाली 30 अगस्त 2021 को है | और लोगो को इस धार्मिक पर्व का बड़ी वेशव्री से इंतजार रहता है | और इस पर्व को लेकर मानो मथुरा वृंदावन में तो नया नया जीवन उदमय हुआ हो,इस तरह से इस पर्व को मनाया जाता है |
तो आईये जान लेते हैं | इस वार के श्रीकृष्ण जनमोत्स्व को लेकर मथुरा में मचने वाली धूम के वारे में –
कृष्ण की जन्मस्थली मानी जाने वाली मथुरा में जन्माष्टमी उत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं। इस खास अवसर पर दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु मथुरा-वृन्दावन और ब्रज के अन्य धर्मस्थलों की ओर उमड़ेंगे । प्रमुख चौराहा और घाटों की सजावट की जाएगी। आयोजनों को सफल बनाने के लिए तैयारियां शुरू हो रही हैं। कान्हा की नगरी को विविध रंगों की रोशनी से सजाने की तैयारियां की जाएंगी। वहीं गोकुल, नंदगांव, बरसाना, गोवर्धन में भी जन्माष्टमी के अवसर पर विभिन्न आयोजन होंगे। मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
मथुरा व समस्त देश में श्रीकृष्ण जनमोत्स्व को लेकर मनाई जाने वाली कुछ पारम्परिक परम्पराएं-
कान्हा को पालने में झुलाये जाने की परम्परा –
माना जाता है की मां यशोदा भगवान श्रीकृष्ण को अक्सर पालने में रखती थीं, जिसके चलते उन्हें पालना बेहद पसंद है. मान्यता है कि जन्माष्टमी की पूजा के दौरान अगर व्रत रखने वाले पालने में नंद गोपाल को झुला दें, तो उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
माखन -मिश्री की परम्परा –
वृंदावन में श्रीकृष्ण एक नटखट बालक थे,जिसे गांव में उनकी शरारतों के लिए जाना जाता था. श्रीकृष्ण को बचपन से ही मक्खन बेहद पंसद था | इस तरह से श्रीकृष्ण के 56 प्रकार के व्यंजनों में माखन -मिश्री को सर्वोपरि माना जाता है | और उसे वड़े प्रेम भाव के साथ कान्हा जी को भोग लगाया जाता है
जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त-
इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पूजा मुहूर्त 30 अगस्त की रात 11 बजकर 59 मिनट से देर रात 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। बाल गोपाल के पूजा की कुल अवधि 45 मिनट है। जिसमे आप श्रीकृष्ण के व्रत को खोलकर अपनी मनोकामना सिद्धि के लिए प्रार्थना कर सकते हैं |
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