General Knowledge: दुनिया में बहुत से लोग उस दौर के बच्चे होंगे, जिन्होंने SMS के जरिए अपने दोस्तों और प्रेमियों से बातचीत की होगी। मोबाइल फोन में मैसेज की सुविधा होने से ग्राहकों को बहुत सारी सहूलियत मिलती है, लेकिन महंगे रिचार्ज के दौर में SMS के जरिए बातचीत करना सस्ता और आसान विकल्प होता था।
क्या आप जानते हैं, कि मैसेज की शुरुआत कब हुई थी, और अगर नहीं जानते तो हम आपको बता दें, कि आज से 30 साल पहले 3 दिसम्बर 1992 को मोबाइल फोन में मैसेज के फीचर को लॉन्च किया गया था। इस SMS का मतलब शॉट मैसेज सर्विस होता है, जिसके जरिए रोजाना करोड़ों लोग बातचीत करते हैं।
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पहली बार साल 1992 में हुई थी SMS की शुरुआत
आज के आधुनिक दौर में भले ही बातचीत करने के लिए कॉलिंग या व्हाट्स एप और अन्य प्रकार के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया जाने लगा है, लेकिन 90 के दशक में मैसेज के जरिए बातचीत करना बहुत ही ज्यादा एडवांस और मजेदार हुआ करता था।
SMS के आविष्कार (SMS History) के बाद शुरुआती दिनों में ही SMS में वर्ड लिमिट हुआ करती थी, जिसकी वजह से एक मैसेज में सिर्फ 160 शब्द ही लिखे जा सकते थे। वैसे तो SMS के पुरे कॉन्सेप्ट को 1980 के दशक में ही लॉन्च कर दिया गया था, लेकिन उसे मोबाइल फोन के जरिए आम लोगों के बीच तकआने में 10 सालों का लंबा समय लग गया था।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने भेजा था पहला SMS
दुनिया में जब पहली बार वोडाफोन के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर नील पापवर्थ (Neil Papworth) ने SMS भेजा था, उस समय मैसेज में मैरी क्रिसमस लिखा था। नील ने यह मैसेज अपने बॉस रिचर्ड जार्विस को भेजा था, लेकिन उस समय रिचर्ड एक पार्टी में बिजी थे। वह इस वजह से उन्होंने नील का SMS नहीं देखा था, और न ही उसका रिप्लाई किया था।
साल 1992 से 2010 के बीच मोबाइल फोन यूज करने वाले काफी लोगों के बीच SMS का क्रेज बहुत ज्यादा था, जो आम बातचीत के लिए इस फीचर का इस्तेमाल किया करते थे। यहाँ तक की त्यौहार और खास मोके पर SMS के जरिए शुभकामनाएँ देने के साथ साथ उसमें मौजूद पिक्चर्स को भी एक दूसरे को सेंड किया जाता था।
ठप्प पड़ जाता था कंपनी का नेटवर्क
जैसे नए साल और त्यौहार के मौके पर लोग एक दूसरे को इतने SMS भेजते थे, कि उसकी वजह से
सभी टेलीकॉम कंपनियों के नेटवर्क स्लो हो जाते थे, जिसकी वजह से SMS को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँचने में काफी घंटे का समय भी लग जाता था। जबकि वर्तमान में रोजाना 100 से ज्यादा मैसेज करने पर सभी टेलीकॉम कंपनियों के नेटवर्क पर कोई खास असर नहीं पड़ता था।
डिक्शनरी में शामिल किया गया SMS वर्ड
सॉफ्टवेयर इंजीनियर नील पापवर्थ को शायद यह पता भी नहीं होगा, कि उन्होंने अपने बॉस को जो SMS भेजा था, तो उसकी वजह से भविष्य में SMS क्रांति की शुरुआत हो जाएगी। साल 2010 में मैसेजिंग के टर्म को समझने के लिए SMS को डिक्शनरी में जगह दी गई थी, लेकिन आज के डिजिटल समय में गूगल और अन्य सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर सभी मैसेज के साथ इमोजी भेजने की सुविधा भी मिलती है।
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