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जी हाँ अभी अभी समाप्त हुए टोक्यो ओलंपिक्स से दूर दराज देशों से आये प्रतिभागी अपने अपने घर पहुंचे ही थे | की उनसे से ही एक प्रतिभागी को ऐसा क्या हुआ,जो उसे अपने जी जान पर खेलकर जीते गए सिल्वर मैडल को ही नीलम करना पड़ गया |
आइये जानते हैं उस प्रतिभागी के बारे में –
तो यहाँ हम बात कर रहे हैं – पोलैंड की जैवलिन थ्रो में सिल्वर मेडलिस्ट मारिया आंद्रेजेक के बारे में |
मारिया आंद्रेजेक ने टोक्यो ओलंपिक्स में जैवलिन थ्रो में सिल्वर मैडल जीता था | और ओलंपिक्स से जाते जाते मारिया आंद्रेजेक जब स्वदेश लौटी तो मारिया ने जब आठ माह की एक नवजात बच्चे का चेहरा देखा तो वह खुद को ऐसा करने से रोक नहीं पाईं। और एक नवजात बच्चे की जान बचाने के लिए अपने मैडल को ही नीलम करने का फैसला ले लिया |
दरअसल यह इस नबजात बच्ची के माता -पिता मारिया आंद्रेजेक के देश पोलैंड के ही निवासी हैं |और यह बच्ची दिल की एक गंभीर बीमारी से झूझ रही हैं | ऐसे में इसके माता पिता यूरोपीय देशों के तमाम अस्पतालों में उसका इलाज कर चुके हैं,पर सफलता नहीं मिल पायी | और अब इसके इलाज के लिए केबल अमेरिका के स्टैंडफर्ड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर पर टिकी है | और वहां बच्ची के ऑपरेशन के लिए उन्हें करीब 3 लाख 85 हजार डॉलर यानी करीब तीन करोड़ भारतीय रुपयों की जरूरत है। और ऐसे उसके माता पिता इतनी मोटी रकम चुकाने में असमर्थ हैं |
और जब यह सब सिल्वर मेडलिस्ट मारिया आंद्रेजेक ने देखा तो ,तुरंत उनकी मदद करने का मन में ठान ली | और इस मोटी रकम को उन्हें देने के लिए अपने सिल्वर मैडल को नीलम कर दिया –
नीलामी की यह बाज़ी पोलैंड की सुपरमार्केट चेन जब्का पोल्स्का ने 1 लाख 25 हजार डॉलर में नीलामी जीती | हालांकि पोल्स्का ने यह सिल्वर मेडल अपने देश के मान सम्मान और मारिया की हुनरमंदी के लिए उन्हें ही वापस लौटा दिया | और उस बच्ची की जान बचाने के लिए खुद अपनी और से ही दान करने का फैसला लिया |
मारिया आंद्रेजेक के इस प्रकार के फैसले से सम्पूर्ण देश को उन पर गर्व की सहानभूति हैं |
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