शिवजी का वाहन नंदी पुरुषार्थ अर्थात परिश्रम का प्रतीक है। हिंदू धर्म ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि जब नंदी का रावण ने अपमान किया तो नंदी ने उसके सर्वनाश को घोषणा कर दी थी। रावण संहिता के अनुसार कुबेर पर विजय प्राप्त कर जब रावण लौट रहा था तो वह थोड़ी देर कैलाश पर्वत पर रुका था। ,वहां भगवान शिव की पहरेदारी कर रहे नंदी को देखकर रावण ने उसे बंदर के मुँह वाला कहा,यह सुन नंदी ने कहा अब तेरा भविष्य में तेरा विनाश इन्ही बंदरों के द्वारा होगा | आगे आप सभी जानते ही हैं की रावण की लंका सभी वानरों ने ही फतह की थी |