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जी हाँ इस संसार में एक रिश्ता प्यार का भी होता है जो की सबसे अटूट एवं विश्वनीय रिश्ता है वह रिश्ता है भाई बहन के अटूट बंधन भाईदूज का | इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनके उत्तम स्वस्थ और दीर्घ आयु की कामना करती हैं | तो आइये जानते हैं इस वर्ष के इस पावन पर्व के बारे में –
कब है भाईदूज –
भाईदूज का यह पावन पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है | जोकि पावन पर्व दीपावली के जस्ट दो दिन बाद मनाया जाता है | और इस वर्ष भाईदूज 6 नवम्वर 2021 यानी दिन शनिवार को है | पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भाई की लंबी उम्र के लिए यमराज की पूजा अर्चना का भी विशेष महत्व होता है।
तिलक करने का शुभ मुहूर्त –
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बहनें अपने भाई को तिलक करने का उचित समय 1 बजकर 10 मिनट 12 सेकंड से प्रारंभ होकर 03 बजकर 21 मिनट से 29 सेकंड तक रहेगा। जिसमे बहनें भाई को तिलक कर उनकी लम्बी आयु की कामना कर सकता हैं |
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:19 से दोपहर 12:04 तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 01:32 से 02:17 तक।
अमृत काल मुहूर्त- दोपहर 02:26 से 03:51 तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:03 से 05:27 तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त- शाम 05:14 से 06:32 तक।
निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:16 से 12:08 तक
भाई दूज पूजा विधि-
बहनें एक थाली में फल, फूल, दीपक, अक्षत, मिठाई, सुपारी आदि चीजों से सजाना लें। और साथ ही गोले को भी जरूर रख लें ,क्योंकि भाई को गोला देना वंशानुक्रम माना जाता है | इसके बाद घी का दीपक जलाकर भाई की आरती करें और शुभ मुहूर्त देखकर तिलक लगाएं। तिलक लगाने के बाद भाई को पान, मिठाई आदि चीज खिलाएं। और भाई बहनों को उपहार स्वरुप कुछ न कुछ गिफ्ट जरूर भेटं करें |
पौराणिक कथा –
इस दिन सूर्यदेव के पुत्र यम अपनी बहन यमुना के घर मिलने आये थे | तब यम के स्वागत में बहन यमुना ने उनका माथे पर तिलक लगाकर आदर सत्कार किया था | इस सब से प्रसन्न होकर भाई यम ने यमुना से वरदान मांगने को कहा | तब बहन यमुना ने उनसे हर साल इसी तिथि को आकर तिलक कराने का वरदान लिया | तभी से यह पावन पर्व हर वर्ष इसी तिथि यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है |
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