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चीन की दीवार के बाद दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार भारत में है। राजस्थान में स्थित कुंभलगढ़ किले की यह दीवार शानदार बनावट और लंबाई के कारण ‘भारत की महान दीवार’ के नाम से जानी जाती है। यह एक वर्ल्ड हेरिटेज साइट है। इसे कुंभलगढ़ की दीवार के नाम से जाना जाता है। यह राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है।
कुंभलगढ़ किले को अजेयगढ़ भी कहा जाता है, क्योंकि इस किले पर विजय प्राप्त करना बहुत मुश्किल काम था। इस दीवार को मुगल शासक अकबर सहित कई राजाओं ने तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन इसे भेदने में सबके पसीने छूट गए थे। ऐसा कहा जाता है कि ये दीवार अभेद्य है।
इस दीवार की लंबाई 36 किलोमीटर और चौड़ाई 15 से 25 फीट है। इस दीवार पर एक साथ 8 घोड़े दौड़ सकते हैं जबकि चीन की दीवार पर एक साथ केवल 5 घोड़े दौड़ सकते हैं। यह दीवार 13 अरावली पहाड़ियों से घिरी है। कुंभलगढ़ का किला समुद्र की सतह से 1,914 मीटर की ऊंचाई पर है। इस किले का निर्माण कार्य 15 साल में पूरा हुआ था। यह किला कई पहाड़ियों को मिलाकर बनाया गया है।
कुंभलगढ़ किले के अंदर कुल 360 मंदिरों का समूह है जिसमें 300 जैन मंदिर और 60 हिन्दू मंदिर हैं। किले के अंदर सात प्रवेश द्वार बने हुए हैं जिसमें, राम द्वार, हनुमान द्वार, पग्र द्वार काफी मशहूर हैं। इसे वास्तु शास्त्र के नियमानुसार बनाया गया है। इस महल के कमरों में पेस्टल रंगों के भित्ति चित्र मिलते हैं। किले के कमरे फिरोजी, हरे और सफेद रंग से रंगे हुए हैं।
महाराणा कुंभा ने इस किले का निर्माण करवाया था। महान शासक महाराणा प्रताप का जन्म भी इसी किले में हुआ था। कहा जाता है, हल्दी घाटी के युद्ध के बाद महाराणा प्रताप काफी समय तक इसी किले में रहे थे। महाराणा सांगा का बचपन भी इसी किले में बीता था।
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